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मिलिंद सोमन संग सेंटर फॉर साइट ने आंखों के स्वास्थ्य पर जोर दिया
नई दिल्ली, 21 अगस्त – वर्ल्ड सीनियर सिटीजन डे के अवसर पर, भारत के अग्रणी सुपर-स्पेशियलिटी आई हॉस्पिटल नेटवर्क सेंटर फॉर साइट ने उम्र से संबंधित नेत्र रोगों में समय पर हस्तक्षेप की तत्काल आवश्यकता पर जोर दिया है। देश में 60 वर्ष से अधिक आयु के 14 करोड़ से अधिक लोग हैं, जिनमें से लगभग हर तीन में से एक को दृष्टि हानि का सामना करना पड़ता है। यह स्थिति बुजुर्गों की स्वतंत्रता और जीवन की गुणवत्ता दोनों को गंभीर रूप से प्रभावित करती है।
वैश्विक स्तर पर, अंधेपन के 80 प्रतिशत मामलों को टाला जा सकता है। फिर भी, मिथकों और देर से देखभाल के कारण बुजुर्ग अपनी दृष्टि खो देते हैं। भारत में अंधेपन का सबसे बड़ा कारण मोतियाबिंद है, जिसे अब उन्नत ब्लेडलेस, रोबोटिक लेज़र सर्जरी से उसी दिन ठीक किया जा सकता है। वहीं, ग्लूकोमा जिसे “साइलेंट थीफ ऑफ साइट” कहा जाता है, शुरुआती लक्षणों के बिना ही बढ़ता रहता है। इसके अलावा डायबिटिक रेटिनोपैथी और अन्य रेटिना रोग भी तेजी से बढ़ रहे हैं।
जागरूकता बढ़ाने के लिए सेंटर फॉर साइट ने फिटनेस आइकन मिलिंद सोमन के साथ साझेदारी की है, जो सक्रिय बुढ़ापे और समग्र स्वास्थ्य का प्रतीक हैं। यह अभियान परिवारों को याद दिलाता है कि नियमित आंखों की जांच के बिना स्वास्थ्य अधूरा है।
सेंटर फॉर साइट समूह के चेयरमैन और मेडिकल डायरेक्टर डॉ. महिपाल एस. सचदेव ने कहा:
“आंखों का स्वास्थ्य बुढ़ापे में गरिमा, आत्मविश्वास और स्वतंत्रता को परिभाषित करता है। खराब दृष्टि को उम्र बढ़ने का अनिवार्य हिस्सा मानना गलत है, क्योंकि आज की तकनीक और विशेषज्ञता के साथ, ऐसा होना ज़रूरी नहीं है।”
फेम्टो-सेकंड रोबोटिक लेज़र कैटरेक्ट सर्जरी अब मरीजों को अधिक सुरक्षा, गति और सटीकता प्रदान करती है। आधुनिक इंट्राऑक्युलर लेंस (IOLs) के साथ, कई वरिष्ठ नागरिक फिर से साफ दृष्टि पा सकते हैं और चश्मे पर निर्भरता कम कर सकते हैं, जिससे वे सक्रिय जीवन जीने में सक्षम होते हैं।
सेंटर फॉर साइट का मानना है कि बुजुर्गों की देखभाल केवल दवाइयों और पोषण तक सीमित नहीं है। नियमित आंखों की जांच अंधेपन को रोक सकती है और स्वतंत्रता बनाए रख सकती है। धुंधला दिखना, रंगों का फीका लगना, रात में रोशनी के चारों ओर घेरे दिखना या पढ़ने में कठिनाई जैसे शुरुआती संकेतों को कभी भी नज़रअंदाज़ नहीं करना चाहिए।
Watch the campaign film here: https://www.youtube.com/watch?v=y7k8hHvEMkg
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Economy
ब्रेक्स इंडिया और टीबीके ने किया रणनीतिक व्यावसायिक सहयोग समझौता
नई दिल्ली, दिसंबर 10: ब्रेक्स इंडिया प्राइवेट लिमिटेड और टीबीके कंपनी लिमिटेड ने हाल ही में पूंजी एवं व्यावसायिक सहयोग के लिए एक महत्वपूर्ण समझौते पर हस्ताक्षर किए। इस साझेदारी के तहत, टीएसएफ समूह की कंपनी ब्रेक्स इंडिया, प्राथमिक पूंजी निवेश के माध्यम से टीबीके में 10% हिस्सेदारी हासिल करेगी। यह सहमति दोनों कंपनियों के लिए एक महत्वपूर्ण रणनीतिक कदम है, जो कमर्शियल व्हीकल ब्रेकिंग सेगमेंट में नई संभावनाओं को खोलते हुए ग्राहकों और स्टेकहोल्डर्स के लिए अधिक मूल्य सृजन में सहायक होगी।
टीबीके की विशेषज्ञता और सहयोग के लाभ
टीबीके, मध्यम एवं भारी वाणिज्यिक वाहन सेगमेंट में वैश्विक स्तर पर एक प्रमुख ऑटोमोटिव कंपोनेंट निर्माता है, जो ब्रेकिंग सिस्टम, पंप्स और इंजन-संबंधित उत्पादों में विशेषज्ञता रखता है। इस गठजोड़ से दोनों कंपनियों को एक-दूसरे की विशेषज्ञता, संसाधनों और पूरक बाजारों का लाभ उठाने का अवसर मिलेगा। यह सहयोग नई सप्लाई चेन, नए ग्राहक नेटवर्क तक पहुंच बनाने में सक्षम करेगा। इसके परिणामस्वरूप ब्रेक्स इंडिया के न्यूमैटिक और हाइड्रॉलिक ब्रेकिंग समाधान अंतरराष्ट्रीय बाजारों तक पहुंच पाएंगे, जबकि टीबीके अपने उत्पाद पोर्टफोलियो को भारतीय बाजार में विस्तार दे सकेगी।
कंपनी नेतृत्व की प्रतिक्रियाएँ
टीबीके के प्रेसिडेंट एवं सीईओ श्री काओरू ओगाटा ने कहा,
“इस साझेदारी के माध्यम से दोनों कंपनियां एक-दूसरे की तकनीकी ताकत और ग्राहक आधार का पूरा लाभ उठाते हुए उच्च मूल्य वाले उत्पाद और समाधान विकसित करेंगी। हमारा उद्देश्य संयुक्त रूप से अगली पीढ़ी की मोबिलिटी टेक्नोलॉजी को आगे बढ़ाना है।”
ब्रेक्स इंडिया के प्रबंध निदेशक श्री श्रीराम विजी ने कहा,
“टीबीके के साथ यह समझौता एक दीर्घकालिक सहयोग की शुरुआत है और हमारे रणनीतिक विकास दृष्टिकोण को और मजबूत करता है। इस गठजोड़ से हमें टीबीके के उत्पाद भारत में उपलब्ध कराने का अवसर मिलेगा, जबकि ब्रेक्स इंडिया के प्रमुख न्यूमैटिक ब्रेकिंग उत्पाद अब भारत के बाहर नए बाजारों और ग्राहकों तक पहुंच पाएंगे।”
साझेदारी का प्रभाव
यह साझेदारी वाणिज्यिक वाहनों के लिए स्वच्छ, सुरक्षित और उच्च दक्षता वाली ब्रेकिंग तकनीकों के विकास को गति देगी और उद्योग के उन्नत एवं सतत् मोबिलिटी समाधान की ओर माइग्रेशन को प्रोत्साहित करेगी।
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